तिरुपति का लड्डू अयोध्या का स्थान लेगा भाजपा के प्रचार अभियान में

-लक्ष्मण वैंकट कुची- -राष्ट्रदूत दिल्ली ब्यूरो- नई दिल्ली, 23 सितम्बर

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आंध्र प्रदेश में अपने सहयोगी दल के मार्फत भाजपा को एक ऐसा भावनात्मक मुद्दा मिल गया, जिससे यह पूरे देश में हिन्दुओं की भावनाओं को भडका रही है। चनावी मुद्दे के रुप में राम मंदिर की चमक फीकी पड रही है। राजनैतिक विश्लेषक यह अनुमान लगाने में व्यस्त हैं कि क्या विख्यात तिरुपति लड्डू भाजपा को वह विजय दे सकते हैं, जिससे वह पूरे देश के राजनैतिक माहौल को गर्मा सके।

भाजपा के सहयोगी दल तेलगुदेशम के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चन्द्रबाबू नायडू द्वारा यह मुद्दा उठाने के कुछ ही मिनटों में भाजपा नेताओं, मंत्रियों तथा देश भर के भाजपा समर्थकों ने सोशल मीडिया पर इस घटना पर लिखना और खुद को हिंदुओं का प्रतिनिधि बताने वाले लोगों ने सोशल मीडिया पर गुस्सा दिखाना शुरु कर दिया और वे लड्डू में गडबडी करने वालों पर कडी कार्यवाही करने की मांग करने लगे।

तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (टी.टी.डी.) द्वारा संचालित यह मंदिर आंध्र के चित्तूर जिले के तिरुमला में सात पहाडयों के बीच स्थित है और मोटे अनुमान, के अनुसार एक सामान्य दिन में साठ से अस्सी हजार लोग यहां दर्शन करने आते हैं। धार्मिक उत्सव व अन्य अवसरों पर यह संख्या दोगुनी- तिगुनी हो जाती है।

मंदिर में भीड का नियंत्रण करने का सिस्टम 20-30 साल पहले ही कम्प्यूटरीकृत कर लिया गया था और यहां का भीड प्रबंधन तरीका पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

यही नहीं, मंदिर में बंटने वाला प्रसाद भी अपने विशिष्ट स्वाद व गुणवत्ता के लिए विख्यात है और इसे जी.आई. टैग भी मिला हुआ है, लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि लड्डू में बीफ की चर्बी, मछली का तेल व अन्य अशुद्धियां हैं तो भारी खलबली मच गई। जल्दी ही सोशल मीडिया पर एक प्रमाण भी शेयर किया जाने लगा। यह एक लैब रिपोर्ट थी जिसे बडे-बडे भाजपा नेताओं ने शेयर किया। इस लैब रिपोर्ट में पुष्टि की गई की कि तिरुपति प्रसादम में अशुद्धियां हैं। यह लैब गुजरात में है। टी.टी.डी., जो मंदिर का संचालन करता है, ने दावा किया कि अशुद्ध घी के कुछ टैंकर्स पकडे गए थे, पर इनका इस्तेमाल लड्डू बनाने में नहीं हुआ था। कुछ सवाल उठ रहे हैं कि जुलाई से लेकर अब तक इस रिपोर्ट के बारे में आंध्र सरकार एवं टी.टी.डी. चुप क्यों थे।

राजनैतिक पर्यवेक्षकों को लगता है लड्डू विवाद, जिसे राजनेताओं का एक वर्ग हवा दे रहा है, के दो लक्ष्य है, एक तो यह कि क्षेत्रीय दल वाय.एस.आर. सी.पी. को धार्मिक भावनाएं उभारकर खत्म कर दिया जाए, क्योंकि आंध्र की जनता तो सबूत के बिना भी इस दावे पर भरोसा करती दिख रही है और दूसरा लक्ष्य मंदिर पर सरकार के नियंत्रण से सम्बंधित है। एक समानान्तर प्रयास मंदिर को सरकार के नियंत्रण से निकाल कर खुद के नियंत्रण में लेने का चल रहा है। लेकिन कुल मिलाकर, लड्डू विवाद ने भाजपा को हिंदुत्व का नया मुद्दा दे दिया हैं क्योंकि राम मंदिर से अब फायदा नहीं मिल रहा है और जिस तरह से आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जनसेना के प्रमुख, फिल्म स्टार पवन कल्याण अपनी हरकतों से इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं, उससे यह बात साफ है। ज्ञातव्य है कि पवन कल्याण ने ही भाजपा-टी.डी.पी. और जनसेना का गठबंधन करवाया था।

उन्होंने 11 दिन का उपवास शुरु कर दिया है, जिसका भारी प्रचार किया जा रहा है और वक्फ बोर्ड की तर्ज पर राष्ट्रीय सनातन धर्म रक्षण बोर्ड की बात की जा रही है, जिससे भाजपा को देश भर में हिंदुओं की भावनाएं उभारने का बडा अवसर मिल गया है।

इसका भाजपा को आगामी विधानसभा चुनावों में तो लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन आगे चलकर यह विवाद भाजपा व उसके सहयोगियों को देश भर में हिन्दुत्व भावनाएं उभारने में मदद देगा क्योंकि हाल ही में भाजपा का वोटर भाजपा से खिसक कर विपक्ष की ओर झुकता नजर आया है।

आंध्र प्रदेश में इस विवाद से वह लॉबी सक्रिय हो गई है जो मंदिर को सरकारी नियंत्रण से मुत्त* करवाना चाहती है। भाजपा की भी लम्बे समय से यह मांग रही है क्योंकि दक्षिण भारत में देश के कुछ सर्वाधिक समृद्ध मंदिर हैं।

अब कई हिंदू संगठन, जो मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुत्त* करने के लिए संघर्ष करते रहे हैं, और भाजपा नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी इस लडाई में आगे आ गए हैं। सोमवार को स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की कि तिरुपति लड्डू के निर्माण में जानवरों की चर्बी के कथित इस्तेमाल की जांच सुप्रीम कोर्ट अपनी निगरानी में करवाए। उन्होंने कोर्ट से कहा कि सुप्रीम कोर्ट आंध्र प्रदेश सरकार को मामले का सारा ब्यौरा पेश करने को कहे। स्वामी और आर.एस.एस. तथा विश्वहिन्दू परिषद जैसे संगठन मांग करते रहे हैं कि मंदिर का संचालन गैर सरकारी संगठनों को दिया जाए, ये संगठन मंदिर प्रशासन बेहतर तरीके से चलाएंगे। संघ ने अपना दांव भाजपा के मार्फत खेला है।


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